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नई दिल्ली (समयधारा) : विश्व में ऐसा कोई देश नहीं है जो कोरोना (Coronavirus) के जहर का स्वाद चख नहीं रहा हो l
इस समय पूरे विश्व में कोरोना के करीब-करीब 8 लाख मामले होने ही वाले है l इसमे से 39000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है l
वही भारत भी इस विपदा से दो-दो हाथ कर रहा है l लगभग हर एक देश की इकोनॉमिक्स पर कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ा है l
लगभग सभी देशों की इकोनॉमिक्स को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पर उन देशों की हालात कही ज्यादा खस्ता है जिन देशों में पर्यटक आधिक आते हैं, जहाँ लोग घूमना अधिक पसंद करते है,
उन्ही देशो को तगड़ा झटका लगा है। देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है।
जिसके चलते सभी पर्यटन स्थल वीरान पड़े है l 13-crore-people-in-the-country-are-facing-job-losses
उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा में जहां पर्यटकों की चहल कदम हमेशा बनी रहती है, वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
तो दिल्ली के इंडिया गेट, लाल किला, लोटस टेम्पल आदि स्थानों पर कोई नजर नहीं आ रहा है l
फरवरी 2020 में तो लोग इक्का-दुक्का दिख ही जाते थे पर मार्च के बाद से पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है।
कई ट्रैवेल एजेंसियों के सैकड़ों कर्मचारी घर पर बैठे हुए हैं। इन एजेंसियों की बसें कारें धूल खा रही हैं।
वही एक ट्रैवेल एंजेंसी के मालिक ने हमें बताया कि सितम्बर तक पर्यटकों के आने की कई उम्मीद नहीं है।
ऐसे में कर्मचारियों को 6 महीने तक घर बैठे सैलरी देना होगी। इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं।
बाकी ट्रैवेल एंजेसियां सैलरी देने की स्थति में नहीं है। ऐसे हालात में बहुत सी एजेंसियां छंटनी के मूड में है।
लिहाजा लाखों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रह रहा है। कई बड़े होटलों को भी मेंटेन रखना भारी पड़ रहा है l
नौकरियों का खतरा सबसे ज्यादा वहां बढ़ गया है, जहां लोगों को रेगुलर सैलरी नहीं मिलती। उदाहरण के तौर पर पर्यटन उद्योग है।
इस सेक्टर में शामिल लोगों को रेगुलर सैलरी नहीं होती है। बहुत से लोग बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट के काम करते हैं।
इसमें गाइड भी शामिल हैं। जिनकी रोजी रोटी पर खतरा बना हुआ है। दुकानों, होटलों में काम करने वाले लोग इस उद्योग में शामिल है।
कोरोना वायरस के प्रकोप से बहुत से मजदूर वर्ग को रोजगार नुकसान होता है।
इंडस्ट्री के संगठन (Industry body) CII ने कहा है कि केवल पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से ही 2 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं।
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अक्टूबर 2020 के बाद ही उद्योग जगत के हालात सुधरने की उम्मीद है।
यही हालात मैन्युफैक्चरिंग और नॉन मैन्युफैक्चरिंग जैसे दूसरे सेक्टर के भी हैं।
मांग में कमी के चलते जिन लोगों की नौकरी अभी बनी हुई है, उन पर भी खतरों के बादल मंडराने लगे हैं।
कुल मिलाकर देश में 136 मिलियन (13.6 करोड़) लोगों की नौकरी पर खतरा बढ़ गया है।
( इनपुट एजेंसी से भी )
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(इनपुट एजेंसी से भी)
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