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🌙 करवा चौथ 2025 : तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
📅 करवा चौथ 2025 की सही तिथि और दिन
करवा चौथ का व्रत इस वर्ष शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएँ इस दिन पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।
🕓 करवा चौथ 2025 के शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि आरंभ: 09 अक्टूबर 2025, रात 09:30 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, शाम 07:45 बजे
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 05:40 बजे से 06:55 बजे तक (लगभग 1 घंटा 15 मिनट)
- चंद्र दर्शन का समय: रात 08:10 बजे (स्थानीय भिन्नता संभव)
👉 नोट: चंद्र दर्शन का समय आपके शहर के अनुसार बदल सकता है।
🌺 करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और विश्वास का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने वाली स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
यह व्रत सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा माना जाता है। तब महिलाएँ अपने पतियों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती थीं। समय के साथ यह व्रत भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गया।
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🙏 करवा चौथ व्रत की विधि (Step by Step)
1️⃣ सुबह की तैयारी
- व्रत रखने वाली महिला सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती है।
- सरगी सास द्वारा दी जाती है जिसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे और पराठे शामिल होते हैं।
2️⃣ निर्जला व्रत की शुरुआत
- सूर्योदय के बाद से महिलाएँ जल तक ग्रहण नहीं करतीं।
- पूरे दिन उपवास रखा जाता है और ध्यान ईश्वर व पति की लंबी आयु की प्रार्थना पर रहता है।
3️⃣ शाम की पूजा
- संध्या समय महिलाएँ सजधजकर करवा (मिट्टी का कलश), दीपक, पानी और मिठाई से पूजा करती हैं।
- करवा चौथ की कथा (वीरवती की कथा) सुनी जाती है।
- महिलाएँ एक-दूसरे को करवा देती हैं यानी सौभाग्य और आशीर्वाद का आदान-प्रदान।
4️⃣ चंद्र दर्शन और अर्घ्य
- रात को चाँद निकलने पर महिलाएँ छलनी से चाँद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं।
- पति पत्नी को जल पिलाकर व्रत तुड़वाता है।
📖 करवा चौथ की कथा
कहा जाता है कि एक साहूकार की सात बेटियाँ और एक बेटी वीरवती थी। करवा चौथ के दिन वीरवती ने कड़ा व्रत रखा। भूख और प्यास से व्याकुल होकर वह बेहोश हो गई। भाइयों ने बहन से छल किया और छलनी में दीपक दिखाकर उसे चंद्रमा बताया। वीरवती ने व्रत तोड़ दिया, जिसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई।
देवियों की कृपा से वीरवती ने कठिन तपस्या कर अपने पति को पुनर्जीवित किया। तभी से करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने लगा।
🌍 आधुनिक युग में करवा चौथ
- पहले यह व्रत सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाता था, लेकिन अब कई पुरुष भी पत्नी की लंबी उम्र और साथ के लिए व्रत रखते हैं।
- सोशल मीडिया और डिजिटल युग में लोग ऑनलाइन पूजा सामग्री और वर्चुअल कथा सुनने लगे हैं।
- विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।
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🪔 करवा चौथ में विशेष परंपराएँ
- सास द्वारा सरगी देना शुभ माना जाता है।
- सिंदूर, चूड़ी और बिंदी का विशेष महत्व है।
- करवा दान यानी मिट्टी के करवे का आदान-प्रदान करना।
- व्रत का समापन पति द्वारा जल पिलाने से करना।
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💡 क्यों है करवा चौथ खास?
- यह केवल पति की लंबी आयु के लिए नहीं, बल्कि वैवाहिक रिश्ते की पवित्रता और प्रेम की गहराई का प्रतीक है।
- परिवार को जोड़ने वाला यह पर्व समाज में स्त्रियों की शक्ति और धैर्य को दर्शाता है।
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