सुषमा का म्यांमार दौरा : रोहिंग्या लोगों की वापसी पर चर्चा सहित 7 समझौतों पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली, 11 मई : भारत व म्यांमार ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दो दिवसीय म्यांमार दौरे के दौरान सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
यह दो दिवसीय दौरा शुक्रवार को समाप्त हुआ।
इस दौरे के दौरान सुषमा स्वराज ने म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंत, स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री आग सान सू की और म्यांमार डिफेंस फोर्सेज के कमांडर इन चीफ वरिष्ठ जनरल मिन आंग हॉलिंग से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, द्विपक्षीय बैठकों के दौरान सीमा व सीमा से जुड़े मुद्दों, शांति व सुरक्षा मामलों, रखाइन राज्य में विकास सहित विस्थापित रोहिंग्या लोगों की वापसी, म्यांमार के विकास में भारत की सहायता, जारी परियोजनाओं व आपसी हितों के दूसरे मुद्दों पर चर्चा की गई।
इस दौरान सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
इसमें एक जमीनी सीमा पार करने, बागान में भूकंप से क्षतिग्रस्त पैगोडा के संरक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू), संयुक्त संघर्षविराम निगरानी समिति की सहायता, म्यांमार के विदेश सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षण, मोन्यवा में एक औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी) की स्थापना और थाटो में आईटीसी व आईटीसी मिग्यान के रखरखाव ठेके के विस्तार के लिए पत्रों का आदान-प्रदान किया गया।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों देशों के बीच जमीनी सीमा पार करने का समझौता द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों देशों के लोग पासपोर्ट व वीजा के साथ जमीनी सीमा पार करने में समर्थ होंगे। इसमें स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाएं, तीर्थयात्रा व पर्यटन भी शामिल होंगे।
इसमें कहा गया, “बगान में पगोडा की बहाली के लिए एमओयू दोनों देशों के बीच स्थायी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित करता है।”
इसमें कहा गया, “तकनीकी सहयोग व क्षमता निर्माण का दूसरा एमओयू म्यांमार के अपने विकास योजना व प्राथमिकताओं के अनुसार भारत के लगातार समर्थन को दिखाता है।”
भारत म्यांमार का एक महत्वपूर्ण विकास सहायता साझेदार है और म्यांमार में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है।
इसमें म्यांमार में सिट्वी बंदरगाह से मिजोरम को जोड़ने वाली एक परिवहन परियोजना, म्यांमार और भारत व थाईलैंड को जोड़ने वाले एक त्रिपक्षीय राजमार्ग संपर्क और रि-टिडिम मार्ग शामिल हैं।
बयान के अनुसार, सुषमा स्वराज ने रखाइन राज्य में रोहिंग्या शरणार्थी संकट से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए म्यांमार सरकार की मदद की प्रतिबद्धता व भारत की तत्परता को दोहराया।
उन्होंने म्यामांर सरकार के रखाइन परामर्श आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन की वचनबद्धता को जारी रखने के लिए म्यांमार सरकार का स्वागत किया।
सुषमा स्वराज ने कहा कि द्विपक्षीय रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम के तहत भारत पहले ही कई परियोजनाओं का क्रियान्वयन के चरण में है, जो रखाइन राज्य के आबादी के विभिन्न तबकों के अनुकूल होगा।
इसमें कहा गया, “इससे पहले प्रमुख परियोजना में विस्थापित लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रखाइन राज्य में प्रिफेब्ररिकेटेड घरों का निर्माण शामिल है।”
इसमें कहा गया, “मंत्री ने रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के सुरक्षित, त्वरित वापसी की जरूरत को रेखांकित किया।”
सुषमा स्वराज का दौरा भारत और म्यांमार के बीच चल रही उच्चस्तरीय बातचीत का हिस्सा है।
–आईएएनएस