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supremecourt orders criminal cases against mp mlas can not be withdrawn without sanction of highcourt
नई दिल्ली (समयधारा) : सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला लिया l
जिसके तहत अब अपराधिक मामलें जो सांसदों और विधायकों के खिलाफ है बिना हाई कोर्ट की इजाजत के वापस नहीं लिए जा सकेंगे l
मतलब की सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों को संबंधित हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना वापस नहीं लिया जा सकता।
देश के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने एमिकस क्यूरे विजय हंसारिया की ओर से इस बारे में दिए गए सुझाव को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के केरल राज्य बनाम के अजीत मामले में दिए गए फैसले के संदर्भ में,
हाई कोर्ट्स से 16 सितंबर 2020 से सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की पड़ताल करने का निवेदन किया गया है।”
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कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से भी सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे
जजों के विवरण, लंबित मामलों और निपटाए गए मामलों की जानकारी देने को कहा है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामलों की सुनवाई कर रहे CBI कोर्ट्स, स्पेशल कोर्ट्स के जज अगले आदेश तक जारी रहेंगे।
बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक याचिका में,
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सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाने की मांग की गई थी।
एमिकस क्यूरे विजय हंसारिया ने सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई की स्थिति के बारे में जानकारी देने वाली एक रिपोर्ट दाखिल की थी।
हंसारिया ने कुछ सुझाव भी दिए थे। इनमें ऐसे मामलों को वापस लेने से पहले हाई कोर्ट की अनुमति होने को जरूरी बनाना था।
CBI सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले वर्ष दिए गए
दो आदेश के जरिए इन एजेंसियों की ओर से जांच वालले लंबित मामलों की स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा गया था।
हंसारिया ने बताया कि इस बारे में बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद केंद्र ने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अपनी पार्टी के सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामले वापस लेने की कोशिश कर रही हैं।
इनमें गंभीर अपराधों से जुड़े मामले भी शामिल हैं। एमिकस क्यूरे की रिपोर्ट में बताया गया है कि
दिसंबर 2018 तक मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या 4,122 थी,
जो पिछले वर्ष सितंबर तक बढ़कर 4,859 पर पहुंच गई। रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का उदाहरण दिया गया है,
जिसने मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी संगीत सोम, कपिल देव, सुरेश राणा और साधवी प्राची सहित 76 निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ मामले वापस लेने की कोशिश की है।