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रूस कोरोना वैक्सीन के अपने दावों को सिद्द करने के लिए बड़ा ट्रायल-धमाका करेगा

दुनिया में सबसे पहले रूस कोरोना वैक्सीन बना लेगा ऐसा रूस ने दावा किया था, उसके बाद उसने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन का पंजीकरण कराया और फिर उसने कोरोना वैक्सीन लॉन्च भी कर दी

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नई दिल्ली/रूस (समयधारा) : एक तरफ पूरा विश्व कोरोना के कहर से घबराया हुआ है,

तो वही रूस ने करना वैक्सीन बनाकर पूरे विश्व को चौका दिया l पर उसकी वैक्सीन पर कई देशों ने सवाल उठायें l 

गौरतलब है कि दुनिया में सबसे पहले रूस कोरोना वैक्सीन बना लेगा ऐसा रूस ने दावा किया था।

उसके बाद उसने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन का पंजीकरण कराया और फिर उसने कोरोना वैक्सीन लॉन्च भी कर दी।

लेकिन इतनी जल्दी और शीघ्रता से वैक्सीन बना लेने के बाद डब्ल्यूएचओ, अमेरिका, ब्रिटेन सहित तमाम देशों ने उसकी सुरक्षा पर सवाल उठाये थे।

जिसे देखते हुए रूस ने दुनिया का भरोसा जीतने के लिए बड़े ट्रायल की तैयारी शूरु कर दी है।

रूस के द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन Sputnik V ट्रायल अगले हफ्ते बड़े पैमाने पर शुरू होगा।

इस ट्रायल में 40 हजार लोगों पर परीक्षण किया जायेगा। ये टेस्ट एक विदेशी रिसर्च बॉडी के निगरानी में होंगे।

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रूस द्वारा अगले हफ्ते किया जाने वाला ये ट्रायल काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर दुनिया के कई देशों,

विशेष कर पश्चिमी देशों ने रूस पर सवाल उठाये थे और इसके डेटा को लेकर असंतोष जताया था।

इन सब सवालों और संदेहों को देखते हुए रूस ने वैक्सीन की जांच के लिए अब 40 हजार लोगों पर ट्रायल करने का फैसला किया है।

ये ट्रायल अगले हफ्ते से शुरू हो जाएगा। Fontanka न्यूज एजेंसी ने दावा किया था कि पहले सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद रूस ने अपनी वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी।

इस वैक्सीन तैयार करने वाले मॉस्को के गैमलेया इंस्टीट्यूट के एक अधिकारी ने कहा है कि,

40 हजार लोगों को टेस्टिंग के लिए देश के 45 स्वास्थ्य केंद्रों पर वैक्सीन का डोज दिया जायेगा।

रूसी वैक्सीन को फंड देने वाली संस्था रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दमित्रीव ने कहा है कि,

वैक्सीन का डेटा इसी महीने प्रकाशित कर दिया जाएगा क्योंकि कई देश रूसी वैक्सीन के खिलाफ सूचना दुष्प्रचार कर रहे हैं।

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इससे पहले,

Russian Corona Vaccine: रूस की कोरोना वैक्सीन पर कई देशों ने जताया शक, WHO ने मांगा प्रूफ

तमाम देशों और WHO के सवालों के बीच रूस ने अपने कोरोना वायरस वैक्सीन Sputnik-V का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया है।

रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने उम्मीद जताई है कि इस वैक्सीन का पहला बैच दो सप्ताह के अंदर बाजार में आ जाएगा।

रूसी कंपनी सिस्तेमा ने बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू किया है। उन्होंने कहा कि कोरोनो वायरस से बचाव करने वाला

यह टीका अभी स्वास्थ्य कर्मियों सहित सभी लोगों के लिए स्वैच्छिक होगा। इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

अक्टूबर से इस वैक्सीन को बड़े पैमाने पर लोगों को लगाया जाएगा।

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मिखाइल मुराशको ने कहा कि रूस अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के बारे में पता लगाने के लिए एक स्पेशल ट्रेसिंग ऐप विकसित कर रहा है।

यह ऐप कोरोना की वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों पर नजर रखेगा।

रूस ने इस वैक्सीन का नाम अपने पहले सैटेलाइट स्पुतनिक वी (Sputnik-V) के नाम पर रखा है।

हालांकि, रूस की कोरोना वैक्सीन Sputnik-V पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित अमेरिका, जर्मनी समेत कई देशों ने सवाल उठाए हैं।

WHO ने रूस से Sputnik-V के सफल ट्रायल और कोरोना की रोकथाम में इसके प्रभावी होने का सबूत मांगा है।

WHO का कहना है कि उसके पास अभी तक रूस के कोरोना वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने कहा कि वो दुनिया के पहले संभावित

कोविड-19 वैक्सीन की प्री-क्वालिफिकेशन को लेकर रूस के साथ संपर्क में हैं।

तारिक ने एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में कहा,  हम इस वैक्सीन को लेकर रूसी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं,

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र डब्ल्यूएचओ द्वारा वैक्सीन के संभावित प्री-क्वॉलिफिकेशन के बारे में चर्चा चल रही है।

इसमें वैक्सीन की प्री-क्वॉलिफिकेशन में क्लिनिकल परीक्षणों के दौरान सुरक्षा

और उसके प्रभाव के लिए आवश्यक सभी डेटा की कठोर समीक्षा और मूल्यांकन शामिल है।

इस वैक्सीन को रूस के रक्षा मंत्रालय और मॉस्को के गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी ने मिलकर तैयार किया है।

हालांकि, इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सिर्फ 2 महीने में निपटा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शंका जाहिर की है।

वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हुए बिना आम नागरिकों पर इस्तेमाल की इसकी मंजूरी दे दी गई है,

इस वजह से भी इसकी सुरक्षा और असर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई देशों का मानना है कि जिस तरह से वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया है,

रूस उसके पूरी होने के पहले ही वैक्सीन की सटीकता का दावा कर रहा है जो गलत है।

रूस ने अभी तक इस वैक्सीन के फेज 1 के ही क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे सार्वजनिक किए हैं,

जिसमें उसने दावा किया है कि वैक्सीन के ट्रायल का पहला चरण सफल रहा है।

वैक्सीन के सेकेंड फेज का ट्रायल 13 जुलाई को शुरू हुआ और 3 अगस्त को ही रूसी मीडिया ने खबर दी कि

गामालेया शोध संस्थान ने वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर  लिया है।

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हालांकि, इन रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट नहीं किया गया केवल दूसरा चरण पूरा हुआ है या तीनों चरण पूरे किए गए हैं।

वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में ही महीनों का समय लग जाता है।

रूस के कोरोना वायरस वैक्सीन Sputnik-V का क्लीनिकल ट्रायल यूएई (UAE )और फिलीपींस (Philippines) में जल्द किया जाएगा।

फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे (President Rodrigo Duterte) ने कहा कि वह खुद इस क्लीनिकल ट्रायल में शामिल होकर वैक्सीन का डोज लेंगे।

WHO के मुताबिक, दुनियाभर के देशों में 100 से अधिक कोरोना वायरस वैक्सीन को डेवलप किया जा रहा है,

जिनमें चार वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में हैं।

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(इनपुट एजेंसी से)

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