
yaro-ki-shayri dosti-shayari friednship-shayaris friends-sayri dosti-ki-duniya dost-sayari
(1) चलों अब जाने भी दो यारों…
क्या करोंगे दास्ताँ सुनकर…
खामोशी तुम समझोगे नहीं…
और बयां हमसे होगा नहीं..!!!
(2) “नशा” “मोहब्बत” का हो
“शराब” का हो … या ” दोस्ती ” का हो
“होश” तीनो मे खो जाते है
“फर्क” सिर्फ इतना है की,
“शराब” सुला देती है ..
“मोहब्बत” रुला देती है, और
“दोस्ती” यारों की याद दिला देती है
(3) आपकी दोस्ती की एक नज़र चाहिए,
दिल है बेघर उसे एक घर चाहिए,
बस यूँही साथ चलते रहो ऐ दोस्त,
यह दोस्ती हमें उम्र भर चाहिए..”
(4) हर वक़्त फ़िजाओं में,
महसूस करोगे तुम….
हम दोस्ती की वो ख़ुशबू हैं,
जो महकेंगे ज़मानों तक..
(5) फर्क तो अपनी अपनी सोच में है वरना
दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती…

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(6) दोस्तों माना की औरों के मुकाबले,
कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने
पर खुश हूं कि खुद गिरता संभलता रहा
पर किसी को गिराया नही मैंने !
(7) रखा करो नजदीकियां दोस्तों
ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं…
फिर मत कहना
चले भी गए और बताया भी नहीं. . . !
(8) दोस्तों – टुटा हुआ विश्वास
और छूटा हुआ बचपन,
जिंदगी में कभी दुबारा वापस नहीं मिलता !!
(9) नफरतों में क्या रखा हैं ..,
दोस्तों की तरह जीना सीखो..,
क्योकि
ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं …
और …
न ही आप का ठिकाना ..,
याद रहे ! दूसरा मौका सिर्फ कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं …
(10) वो पूछते हैं इतने गम में भी खुश कैसे हो
मैने कहा, प्यार साथ दे न दे, यार साथ हैं

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(11) दोस्तों बहुत ग़जब का नज़ारा है
इस अजीबसी दुनिया का,
लोग सबकुछ बटोरने में लगे हैं
खाली हाथ जाने के लिये..!
(12) ये ” DOSTI ” की धड़कन है – –
जब तक DOST सलामत रहेगा,
तब तक ये ” धड़कता ” ही रहेगा
(13) लोग कहते है,
जिसे हद से ज्यादा प्यार करो,
वो प्यार की कदर नहीं करता!
पर दोस्तों सच तो यह है की,
प्यार की कदर जो भी करता है,
उसे कोई प्यार की नहीं करता!
दोस्ती शायरी : ये “DOSTI” की धड़कन है, जब तक DOST सलामत रहेगा..
(14) सोचों कभी संबंधो और दोस्ती में रेस हो
तो कौन जीतेगा..
कोई नहीं …!! क्योंकि
सच्ची दोस्ती हमेशा समझौता करती है l
और सच्चे संबंध हमेशा सैक्रिफाइस..
(15) तुम तो यूँ ही आँसुओं से परेशान हो…
यकीन मानो दोस्तों मुस्कुराना और भी मुश्किल है।।

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(16) तेरी दोस्ती बयां करना नहीं मकसद था मेरा !
ज़िद कागजों ने की थी और कलम चल पड़ी !
(17) दोस्ती के रिश्ते कितने अजीब होते है?
दूर रहकर भी कितने करीब होते है;
(18) दोस्त मेरी बर्बादी का गम न करना;
ये तो अपने-अपने नसीब होते हैं !
(19) यह बात जरा गहरी है पर,
मेरी जिंदगी तुम दोस्तों में ही ठहरी है..!
(20) कभी-कभी दोस्ती कुछ ऐसे रिश्ते बना लेती है…
जो आखिरी सासँ तक छुड़ाने से नहीं छूटती…

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(21) एक खिलौना ही तो हूँ…
मैं आपके हाथों का…
दोस्त रुठते तुम हो…
और टूटता मैं हूँ…
(22) दोस्ती उसी को आज़माती है
जो हर मोड़ पर चलना जानता है….!!
कुछ “पाकर” तो हर कोई मुस्कुराता है,
दोस्ती शायद उनकी ही होती है,
जो बहुत कुछ “खोकर” भी मुस्कुराना जानता है.
(23) दोस्त आस एक झूठी ही दे जाओ कि बहला सकूँ उसे….
आँगन में शाम तो आयेगी दोस्त तेरे जाने के बाद भी..!!
(24) कुछ इस अदा से निभाना है
किरदार मेरा मुझको…!
जिन्हें दोस्ती ना हो मुझसे
वो नफरत भी ना कर सके….!!
(25) पहाड़ियों की तरह खामोश है,
आज के संबंध और रिश्ते,,,,
जब तक हम न पुकारे,
उधर से आवाज ही नहीं आती..!
धोखेबाज शायरी : रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे…जब हर साजिश के पीछे अपने ही निकलेंगे.
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(26) बहुत सौदे होते हैं संसार में….
मगर..
सुख बेचने वाले
और
दुख खरीदने वाले नहीं मिलतें
पता नहीं क्यों लोग
दोस्ती छोड़ देते हैं
लेकिन जिद नहीं…!!
(27) Ego वो दौड़ है….
जहाँ अक्सर जीतने वाला,
हार जाता है….
(28) दर्द सबके एक है,
मगर हौंसले सबके अलग अलग है,
कोई हताश हो के बिखर गया
तो कोई संघर्ष करके निखर गया !
(29) दर्द कितना खुशनसीब है जिसे
पा कर लोग अपनों को याद
करते है, दौलत कितनी
बदनसीब है जिसे पा कर लोग
अक्सर अपनों को भूल जाते है..
(30) काफी वाले तो सिर्फ फ़्लर्ट करते है l
कभी दोस्ती करनी हो तो चाय वालों से मिलना
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(31)मिलें कभी चाय पर फिर किस्से बुनेंगे l
तुम खामोशी से कहना हम चुपके से सुनेगे l
(32) दोस्त तुम्हारी आदत भी चाय जैसी है
कम्भख्त आज तक छूती ही नहीं
(33) शराब ने कुछ घर बर्बाद कियें
चाय ने पूरा शहर बर्बाद कर दिया
(34) चाय के नशे का आलम कुछ यूँ है ग़ालिब
कोई राय भी पूछें तो दोस्ती वाली बोल देते है
(35) दोस्त मै तुमसे कुछ नहीं कहता,
बस इतनी सी गुजारिश है..
इतना पास आ जाओ,
जितना याद आते हो..!!
शायरी : बँधी हैं सबके हाथों में घडियाँ मगर, पकड में किसी के एक लम्हा भी नहीं
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(36) पन्नों की तरह
दिन पलटते जा रहें हैं.
खबर नहीं कि ये
आ रहें हैं…! या जा रहे हैं…!!
(37) परख से परे है ये शख्शियत मेरी,
मैं उन्हीं का हूँ, जो मुझ पे यकीं रखते हैं..!!
(38) मैं अक्सर हार जाता हूं किसी की जीत की खा़तिर!
मेरा अपना तरीका़ है किसी से जीत जाने का!!
(39) ज़िंदगी मैं भी मुसाफ़िर हूँ तेरी कश्ती का
तू जहां मुझ से कहेगी मैं उतर जाऊँगा।
मुझे किनारा न मिले तो कोई बात नहीं.!
दोस्तों को डुबा के मुझे तैरना नहीं आता..!!
शायरी : आस एक झूठी ही दे जाओ कि बहला सकूँ उसे, आँगन में शाम तो आयेगी तेरे जाने के बाद भी..!!
(40) जिन्दगी की दौड़ में,
तजुर्बा कच्चा ही रह गया…।
हम सीख न पाये ‘फरेब’
और दिल बच्चा ही रह गया…।
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(41) ताक में दुश्मन भी थे और थे दोस्त भी।
पहला तीर किसने मारा ये कहानी फिर कभी।।
(42) धन से ना दौलत से ना द्वार से,
जीवन की डोर बंधी है तो बस…
दोस्त से…
(43) आजकल धुंध बहुत है मेरे शहर में
अपने दोस्त दिखतें नहीं
जो दिखतें है वो अपने नहीं
(44) कितने कमाल की है न दोस्ती
वजन होता है पर बोझ नहीं होता
(45) दोस्ती पानी की तरह है
वह आपमें ऐसे घुल जायेगीं की
आपको पता ही नहीं चलेगा
वह आपके अंदर के मेल को धो देती है
दोस्ती आपको अपने से मिलाती है
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