breaking_newsअन्य ताजा खबरेंदेशदेश की अन्य ताजा खबरेंये क्या
Trending

Wah..! विदेश में नहीं देश में – पानी में तैरता सोलर प्लांट

तेलंगाना में 100 मेगावॉट क्षमता वाला भारत का सबसे बड़ा पानी में तैरता सोलर पावर प्रोजेक्ट अब पूरी तरह से चालू हो गया है।

Wah India largest floating solar power project in Telangana

तेलंगाना (समयधारा) :  भारत देश अपनी बेहतर कौशल व बेहतरीन टेक्नोलॉजी के जरिये हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है l

इसी कड़ी में भारत ने एक और नया कीर्तिमान बनाया है l

तेलंगाना में 100 मेगावॉट क्षमता वाला भारत का सबसे बड़ा पानी में तैरता सोलर पावर प्रोजेक्ट (India largest floating solar power project in Telangana) अब पूरी तरह से चालू हो गया है।

Eid ul-adha-Bakra eid 2022:आज है ईद उल-अजहा/बकरीद,राष्ट्रपति,पीएम मोदी ने दी देशवासियों को बधाई

एनटीपीसी ने स्टॉक एक्सचेंज को एक नियामक फाइलिंग में बताया कि तेलंगाना के रामगौदम जलक्षेत्र स्थित 100 मेगावॉट की सौर परियेाजना का 20 मेगावॉट क्षमता वाले अंतिम हिस्से का परिचालन भी शुरू हो गया है।” 

“इसके साथ ही एनटीपीसी की सिंगल आधार पर स्थापित एवं वाणिज्यिक क्षमता 54,769.20 मेगावॉट हो गई है।

वहीं, ग्रुप की क्षमता 69,134.20 मेगावॉट पहुंच गई है। इस परियोजना से 100 मेगावाट बिजली मिलेगी।

इसके शुरू होने से दक्षिण भारत में तैरती सौर क्षमता का वाणिज्यिक उत्पादन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया है।”

“रामगौदम में 100 मेगावाट की फ्लोटिंग सोलर परियोजना हाई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं से लैस है।

Sunday Thoughts:यदि आप प्रयास करने के बाद भी असफल हो जाए तो भी…

BHEL (Bharat Heavy Electricals) के माध्यम से EPC (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) अनुबंध के रूप में 423 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है।”

Wah India largest floating solar power project in Telangana

“परियोजना को 40 खंडों में बांटा गया है। प्रत्येक खंड 2.5 मेगावाट बिजली बनाता है।

तैरते हुए सौर पैनलों के कारण प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण को रोका जा सकेगा।

Sri Lanka Crisis:आर्थिक संकट के कारण गृहयु्द्ध की आग में धधक रहा श्रीलंका,PM का इस्तीफा,राष्ट्रपति जान बचाकर भागे,प्रदर्शनकारियों ने PM आवास में आग लगाई

यह सिस्टम जलनिकाय सौर मॉड्यूल के तापमान को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करेगी।”

“अधिकारियों ने बताया कि सौर मॉड्यूल के नीचे का जल निकाय उनके परिवेश के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है।

इसके अलावा हर साल 2,10,000 टन के कार्बन डाय ऑक्साइड (Co2) उत्सर्जन से बचा जा सकता है।

उत्पादित बिजली परोक्ष रूप से प्रतिवर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत कम करेगी, जिससे प्रतिवर्ष 2,10,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड कम उत्सर्जित होगी।”

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button